"रिश्तों का खून"
"खून हुआ जंगल में चारों ओर
हाहाकार मच गया.…।
जमां हो गए नर-नारी बुढ़े और
जवान सहित सभी लोग आ गए।
देख लाश की हालत आँखों से आँसू छलक पड़े।
चेहरा पहचान नहीं पाने में हर मुख से यही बात निकलती कि जानवरों ने किस तरह
नोचा है इसका अंग-अंग वीभत्स पड़ा।
तभी हाथ पर पड़ी नज़र ,
उस लड़की ने टैटू बनवाया था।
सुंदर अक्षर में अजय और शालिनी गुदवाया था।
तब तक पुलिस कर्मी भी आ पहुंचे।
हर पुलिस चौकी पर लड़की के
हाथ सहित, फोटो भिजवाया,
सिर्फ दस मिनट के बाद ही,
कांदिवली पुलिस चौकी से फोन आया।
यहाँ एक महिला की रिपोर्ट दर्ज है नाम शालिनी,
विवाहिता पति का नाम अजय उम्र तैइस वर्ष है।
तुंरत पिता को फ़ोन लगाया गया,
लापता का केस दर्ज करवाया था।
लाश की शिनाख्त के लिए उसे बुलाया गया।
जंगल में करने क्या गयी तुम्हारी बेटी, बार-बार
बेधते शब्दों के प्रहार से लांछन लगाया गया।
लापता होने के पंद्रह दिन बाद मिली थी लाश।
चेहरा देखकर नहीं, सिर्फ टैटू से हुई थी शिनाख्त।
लाश हाथ में देकर पुलिस कर्मी निश्चिन्त हुए।
माता-पिता का सुख चैन लुटा,
दिमाग से भी सुन्न पड़े।
अंतिम क्रिया कर्म कर
पुलिस से छान बीन की मांग की।
पुलिस कर्मी पहुँचे शालिनी के ससुराल,
रूम में ताला चाभी परोसन के पास मिली।
उसे लेकर गये पुलिस चौकी और अच्छी तरह
पुछ ताछ करी।
उसने बताया पन्द्रह दिन पहले शालिनी के ससुर।
सुबह के समय ही चाभी देकर गाँव गये,
हमें क्या पता, हमने तो सोचा
बहू भी उनके साथ ही गाँव गई।
एक दिन हवालात की हवा खा
कर पड़ोसी, घर लौटा,
हर तरफ से शक की निगाह से परेशान हुआ।
पुलिस कर्मी भी हर रोज कहीं ना कहीं बुला लेते। घुमाफिरा कर जवाब एक ही हमें कुछ मालूम नहीं।
पुलिस कर्मी ने जानवरों के द्वारा
किए हमलों के मौत का सबूत दिया।
केस बंद करने का ऐलान किया।
पिता ने कहा हमें शक है मेरे दामाद
और उसके बाप पर।
उन लोगों ने ही मेरी लाडली का ख़ून किया,
दरअसल यह शादी ही मेरी बेटी
के मौत का कारण निकला।
उन्होंने बताया एक वर्ष पहले
अजय और शालिनी ने प्रेम विवाह किया।
अजय के माता-पिता इस विवाह के खिलाफ थे।
लड़का यादव और लड़की सुनार थी,
जात-पात का मसला सामने था,
लड़का अमीर और लड़की वाले गरीब।
उन्हें लगा दौलत के चक्कर में
उसने मेरे बेटे को फंसाया है।
कुछ समय पहले शालिनी के ससुर का फोन आया था।
अपनी बेटी का विवाह कहीं और
करवा दो पूरा खर्च में दूंगा।
पर लड़की वालों ने लड़की सहित
दामाद को अपने पास रख लिया।
दौलत नहीं चाहिए हमें,
हमें बच्चों की खुशी चाहिए ऐसा कह दिया।
छः माह बाद अजय के पिता ने अजय को फोन किया।
कहा हमने तुम्हें माफ किया,
बहू को साथ लेकर घर आ जाओ।
इस तरह दोनों परिवारों के बीच के
मनमुटाव दूर हुए। खुशियों के साथ
रहने लगे पर बस चार महीने बाद ही
बेटी के लापता और फिर लाश देख,
उन्हें समझ में आ गया,
होना हो उनके साथ धोखा हुआ।
फिर पुलिस कर्मी अजय के गाँव गये।
अजय के पिता को अपने साथ मुंबई लेकर आए।
पुलिस कर्मी ने सिर्फ इतना कहा,
तुम क्या चीज़ हो,
मेरी मार के सामने तो भूत भी
सच बोलने लगता है, दो घंटे के ठूकाई में,
अजय के पिता ने कहा।
रूको मैं सब कहता हूं।
मेरे बेटे ने जिस लड़की के लिए मुझे छोड़ दिया।
उसे भला मैं बहू कैसे मानता,
उपर से जात भी अलग तो हमने एक योजना बनाई।
दोनों को पहले अपने पास बुलाया,
लड़के को उसके माँ के साथ गाँव भेज दिया।
कहा मेरे कंपनी वालों ने पंद्रह दिन बाद जाने को कहा है तो बहू को रहने दो हम दोनों बाद में आ जाएंगे।
फिर दो आटो रिक्शा चालक से बात किया।
मेरे फ्लाइट टिकट जिस दिन था,
उसके पहले रात को ही हमने बहू से कहा
बहू खाना मत बनाना बाहर से मंगवाया है।
बहू भी खुश।
उस खाने में नींद की बहुत मात्रा में दवाई
डालकर बहू से कहा तुम खा लो मुझे
अभी भूख नहीं मैं थोड़ी देर बाद खाऊँगा।
बहू के खाना खा कर सोने के बाद
तकिये से गला दबा कर उसे मार डाला।
आटो रिक्शा चालक को बुलाया और
दूर जंगल में फ़ेंक दिया।
आटो रिक्शा चालक को पचास हजार रुपए दिए।
और पुलिस चौकी में छः लाख।
और मैं फ्लाइट पकड कर गाँव चला गया।
पुलिस कर्मी ने बताया था केस आगे नहीं बढ़ने देंगे।
पर शालिनी के पिता की कोशिश और मेहनत के कारण। अजय के पिता को उम्रकैद की सज़ा मिली।।"
अम्बिका झा 👏
-Ambika Jha