My Meaningful Poem ....!!
ज़मीर बेच कर
अमीर हो जाना....
इससे बेहतर है
फ़कीर हो जाना....
माना शराफ़त नही
बिकती बाज़ारों में....
पर नाम अपना क्यों लिखाना
ज़मीर के ब्योपारो में....
दी रब ने तुझे ज़िंदगी तो
तो रोज़ी भी वही देगा...
क्यों भिखारी बना फिरता है
औक़ात के ख़रीदारों में...
इस्तेमाल कर के तुझे फेंक देंगे
मुर्दा-दिल हे इन के सीने में...
यक़ीं की तराज़ू से तोल
हर बोल फिर मुँहसे बोल...
देखता नहीं क्या है कैसे है
भाव तेरे भावुक सीने में....
देता प्रभु उतना ही जितना
तु हँस कर उठा सके...
वनाँ रखा क्या नहीं है उस
महान रचयिता के झोले में..!
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