Hindi Quote in Tribute by SHAMIM MERCHANT

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शायरी के सही म'आनी और उर्दू गज़ल की कभी न ख्तम होने वाली एक ख़ुशबू, जिन्हें हम मिर्ज़ा ग़ालिब के नाम से जानते है, आज उनकी पुण्यतिथि है। उनके निर्वाण दिन पर आप के सामने चाचा ग़ालिब के कुछ बेहतरीन शे'र रख रहा हूं।

Thanks to Dhruv Patel for sharing.

*हम को मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन*
*दिल के ख़ुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है*

*रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल*
*जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है*

*उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़*
*वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है*

*रंज से ख़ूगर हुआ इंसाँ तो मिट जाता है रंज*
*मुश्किलें मुझ पर पड़ीं इतनी कि आसाँ हो गईं*

*हैं और भी दुनिया में सुख़न-वर बहुत अच्छे*
*कहते हैं कि 'ग़ालिब' का है अंदाज़-ए-बयाँ और*

*बाज़ीचा-ए-अतफ़ाल है दुनिया मिरे आगे*
*होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मिरे आगे*

*हम वहाँ हैं जहाँ से हम को भी*
*कुछ हमारी ख़बर नहीं आती*

*आ ही जाता वो राह पर 'ग़ालिब'*
*कोई दिन और भी जिए होते*

*मैं भी मुँह में ज़बान रखता हूँ*
*काश पूछो कि मुद्दआ क्या है*

*जान तुम पर निसार करता हूँ*
*मैं नहीं जानता दुआ क्या है*

*निकलना ख़ुल्द से आदम का सुनते आए हैं लेकिन*
*बहुत बे-आबरू हो कर तिरे कूचे से हम निकले*

*मेहरबाँ हो के बुला लो मुझे चाहो जिस वक़्त*
*मैं गया वक़्त नहीं हूँ कि फिर आ भी न सकूँ*

*आशिक़ हूँ प माशूक़-फ़रेबी है मिरा काम*
*मजनूँ को बुरा कहती है लैला मिरे आगे*

*जब तवक़्क़ो ही उठ गई 'ग़ालिब'*
*क्यूँ किसी का गिला करे कोई*

*दे मुझ को शिकायत की इजाज़त कि सितमगर*
*कुछ तुझ को मज़ा भी मिरे आज़ार में आवे*

- मिर्ज़ा ग़ालिब

Hindi Tribute by SHAMIM MERCHANT : 111661585
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