My Meaningful Poem ....!!
किस को तुं कब क्या दे
दें इसका कोइ हिसाब नहीं
पुतले को तो महँगें कपड़े
मगर गरीब को लिबास नहीं
दरिया-दिली की तो भी
तेरी कोई मिसाल तक नहीं
हर बूरे बंदे को तो तु देने
पे आए तो नवाज़ें बे-हिसाबों
हाँ मगर सच्चे बंदे के
इम्तिहान में कोई कोताही नहीं
हाँ तेरे अदल-ओ-इन्साफ़
का भी तो कोई जवाब ही नहीं
किसी अमीर दस्तरख़ान
के रौनक़ की मिसाल ही नहीं
पर किसी फटेहाल को
खानें को तो लुक़मा तक नहीं
आवाज़ बुलंद से बात
करना किसी की मजाल नहीं
बिना आवाज़ दिए भी तो
तुं नवाज़ें, इसमें सवाल नहीं
हक़-परस्त रहनुमाई का
भी तो तेरा कोई जवाब ही नहीं
जिसे चाहे तूँ अपना बना
ले जिसे चाहे तूँ सज़ा भी दे दे
आमाल-ए-बंदे से तो तेरा
हरगिज़ कोई सरोकार ही नहीं
प्रभु है तूँ प्रभुजी के फ़ैसले
की जहाँ में कोई मिसाल ही नहीं
भले ही दिखती हमें नहीं
पर लाठी में तेरी आवाज़ ही नहीं
✍️🌲🌺🥀🖊🖊🥀🌺🌲✍️