प्यासा कौवा
एक बार मै आकाश में ऊंची उड़ान भर रहा था ।
जंगल ,पहाड़ों ,बस्ती के ऊपर से गुज़र रहा था।
गर्मी का मौसम था ,सो मुझे प्यास लग आयी थी।
जल पाने के लिए इधर-उधर नज़र दौड़ायी थी।
कही कोई भी पानी का स्रोत नहीं दिखाई पड़ा ।
तभी घर के पास मिट्टी का मिल गया एक घड़ा।
पर वो तो खाली था, बस नीचे तल मे था पानी।
क्या उपाय करें जिससे दूर हो जाए ये परेशानी
तब मटके में कंकड़ डा़लने की सुध आयी थी।
धीरे से पानी ऊपर आया,मैनें प्यास बुझायी थी।
आज ऐसे हालात है मटका, कंकड़, न पानी है,
नल की टपकती बूंदों से ही प्यास बुझानी है।
अमृता शुक्ला