तेरी तासीर ही कुछ ऐसी थी....
ये दिल जो मोहोब्बत भूल चूका था,
वो अब तेरा होने लगा हैं....
हाँ, तेरी तासीर ही कुछ ऐसी थी कि
ये दिल अब पिघल ने लगा हैं....
प्यार पर से जो भरोसा खो बैठा थी,
अब प्यार को सब कुछ मानने लगी हूँ....
हाँ, तेरी तासीर ही कुछ ऐसी थी कि
ये दिल अब तेरा होने लगा हैं.....
चाहती नही थी कि तुजसे मोहोब्बत हो,
पर तेरी बातों पे ये दिल अब जीने लगा हैं....
हाँ, तेरी तासीर ही कुछ ऐसी थी कि
ये दिल अब तुझ-सा होने लगा हैं.....
इबादत और प्यार में भेद करनेवाली,
अब प्यार को ही इबादत समझने लगी हैं...
हाँ, तेरी तासीर ही कुछ ऐसी थी कि
ये दिल अब तुझे सब कुछ मानने लगा हैं.....
-PARL MEHTA