गेरूआ हो या हरा या
रंग हो कृष्ण सुनहरा
न जाने कितने रंगों में रंगा
कभी चला तो कभी ठहरा...
अब फिर उदासी ने है आ घेरा।
जीवन एक प्रश्न ?? हो गया है पहरों का
अब यही इच्छा हो रही है
हे मेरे ईश्वर मुझे मेरी जिंदगी का
वो आखरी शाम इस अंग्रेजी वर्ष में
गिफ्ट कर दो.....
सब बेकार 😖...
-सनातनी_जितेंद्र मन