मन मेरेऽऽ ये बता,कहाँ तू चलाऽऽऽ...-टेक..
तुझे ढूंढती नजरें मेरी, इस ओट पे उस छोर पर
न तेराऽऽ कहीं भी पता चलाऽऽऽ -मन मेरेऽऽ..
कहाँ जाऊं जो तुझे पाऊं मैं,शामों पहर ढूंढूं हर डगर।
जाने कहाँ क्यों, किधर चला - मन मेरेऽऽ..
अहसास ले तु नई-2,हैं मोड़ इनमें कई-2
यूँ ही बीत जाए ना ये रैना - मन मेरेऽऽ...
-सनातनी_जितेंद्र