गज़ब है दिल्लगी , अल्फ़ाज़ के शहर से गुजरे,
तसल्ली चाहिए , तूफा ए दिल कहर से गुज़र;
शब ए ग़म बीरहाना, झुलसते रहे यादों में हम,
मौज ए मिलन चाहत, गुल ए नूर सहर से गुज़रे;
गज़ब है दिल्लगी , अल्फ़ाज़ के शहर से गुजरे,
तसल्ली चाहिए , तूफा ए दिल कहर से गुज़र;
शब ए ग़म बीरहाना, झुलसते रहे यादों में हम,
मौज ए मिलन चाहत, गुल ए नूर सहर से गुज़रे;
-મોહનભાઈ આનંદ