क्या खो जायेगा?
किस बात का भय है?
जो अभी पाया ही नहीं,
उसको खोने का यह कैसा भ्रम है।
खुला है आसमान, सम्भावनाएं अनगिनत है,
एक बार अपने पंखों को तो विस्तार दो,
थोड़ा खुलकर ऊंची उड़ान लो,
फिर देखना तुम,
पूरी दुनिया पर तुम्हारा ही अख्तियार है।
-Pragya Chandna