मे और मेरे अह्सास
मुहब्बत है तो फिर जताते क्यों नहीं हो l
हाल - ए - दिल बताते क्यों नहीं हो ll
साज श्रृंगार कर के फिरते हो शाम सवेरे l
आईना खुद को दिखाते क्यों नहीं हो ll
नशीली निगाहों से पलकें उठाकर आज l
आँखों से जाम पिलाते क्यों नहीं हो ll
यादो को दिल से लगाए रखा है हरपल l
दिल का रिश्ता निभाते क्यों नहीं हो ll
प्यार है तो जानेजा मुस्कराते हुए l
साथ कुछ पल बिताते क्यों नहीं हो ll
दर्शिता