#_लोग_कह_रहे_हैं_नया सा_ आ_ है__SJT
बिलायेती परम्परा का असर आ रहा है ,
गावं का किसान भी अब शहर आ रहा है ,
रौनक ही नहीं रही उन गलियों चौराहों में ,
ज़िन्दगी में वक़्त का वो कहर आ रहा है ,
जैसे अब हमसे कुछ छूूटता जा रहा है ,
लोग कह रहे हैं नया साल आ रहा है ,
कुछ बीती यादों को जेहन में रखकर के ,
अब वो पुराना ज़ख्म भरता जा रहा है ,
नई उम्मीदों का सूरज उगता जा रहा है ,
ख्वाहिशों का चंद्रमा छिटकता जा रहा है ,
फ़िर से सितारों की एक महफ़िल सजेगी ,
दिन अब पल बन कर सिमटता जा रहा है ,
सिर्फ़ कहने बस को नया साल आ रहा है ,
क्या कहूं उम्र का हिस्सा घटता जा रहा है ,
ख़ुश हैं कुछ लोग झूठी शान की रौशनी में ,
कैसे बताऊं की काल का अंधेरा छा रहा है ,
चंद खुशियों का खुमार चढ़ता जा रहा है ,
मगर हर कोई यहां अपना दर्द ही गा रहा है ,
बड़े ही अमीर देखें हैं अपनी आंखों से यहां ,
सब ख़रीद लें पर हिस्से का दुख पा रहा है ,
#PoetryOfSJT