रास्ते रास्ते मंजिलों तक का सफ़र
पीछे छूटते मेरे गली, गांव, घर..
खुशियां बहुत है, सपने यहां है,
ये शहर तो अपना है, पर अपने कहां हैं
यहां भूख है प्यास है मंजिलो तक कि आस है
दौड़ती ज़िन्दगी है ख्वाहिशों का आकाश है ,
सबकुछ है यहां फिर क्या कमी है?
रातें घनेरी है, पर नींद नहीं है,
दिल को जो छू जाए वो अपनापन नहीं है..
दो पल सुकून दे जाए वो माँ की गोद नहीं है..
-Sarita Sharma