🍁.....वो प्रेम.....🍁
विलुप्तप्राय श्रेणी में आ ही गया आख़िर
वो जो अवशेष मात्र था प्रेम तुम्हारा
यहीं खंडहर रूपी हृदयकोश में
शनैः शनैः खो रहा है निशान
जो बने थे आने से तुम्हारे
वो उभरा नाम तुम्हारा
वो चमकती आँखें
याद करूँ तो
लगता नहीं
प्राचीन
है ये प्रेम
जो कहीं तो
अभी है ज़िंदा
ले रहा है अंतिम
कुछ बाकी बची साँसें
यक़ीनन ये आख़िरी ही है
क्योंकिं इसके बाद मिलेगा
गर कहीं ये प्रेम निमित्त मात्र
तो वो बस होगा मातृभारतीयों में
जो संजो कर रखेंगी ये अगली पीढियां
-Broken_Feather