My Spiritual Poem..!!!
कहाँ कहाँ नहीं एहसास तेरे होने का
मैं क्या बताऊँ कमी है कहाँ कहाँ तेरी
यहाँ वहाँ ढूँढा नही मेनें कहाँ कहाँ तूजे
एक-से-अनेकानेक ढूँढें कहाँ कहाँ तूजे
गुरुद्वारों गिरजाघर मंदिर मस्जिद हैं तो
ठिकाने अनेक,पता नही कहाँ कहाँ हे तूँ
रुप तो हैं तेरे अनेक,नहीं रुप तेरा कोई
निरंजन निराकार कहाँ कहाँ ले आकार
भिखारी बन भिख माँगे देता भी तूँ ही तूँ
हाथी पर चढ़ हाँकें कहाँ कहाँ न झांके तूँ
ईश्वर अल्लाह प्रभु रब ईसा मसीहा हैं
नाम अनेकानेक दिखता कहाँ कहाँ हैं तूँ
आया जो तेरी पनाह में पाया वह शरण
अनदेखा हो के भी देखे नहीं कहाँ कहाँ तूँ
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