My Wonderful Poem ...!!!
जन्नत वाजिब हो चुकी होगी तुम पर
बहुतों को रब याद करवाया है तुमने
अल्फ़ाज़ो की डोली पर हो के सवार
ख़्यालों में ही प्रभु से मिलाया हैं तुमने
कोई तुम्हें दाद दे या ना दे,यह परवाह
किए बग़ैर ही रब से नाता जोड़ा तुमने
समज-ओ-सादगीं भरे गहरे जज़्बातोसे
रुँहो में बसें प्रभुको उजागर किया तुमने
पाक़िझा सोच की बुलंदियों को निचोड़
दिलों की धड़कनों को पाक किया तुमने
ग़रज़ की हल्के फुलके लहजों में ही हर
गहरी बातें मनवाने का लोहा लिया...!!
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