My Wonderful Poem...!!!
यारों मान लो मेरी राय,
इश्क से बेहतर है चाय
चाहे कितनी भी गर्म क्यों ना हो
होठो को छूते ही सुकून तो देती है
इश्क़ की लगीं बीमारी जान लेती
चाय की लगी लत जीने नहीं देती
इश्क़ के मरीज़ तो तड़पते रात भर
चाय के घूँट पी के जग लेते रात भर
इश्क़ बेड़ी-व-ज़ंजीरों-सी जकड़न दे
चाय चाहते बढ़ा के दिलों को जोड़ देती
इश्क़ जिसने भी किया वह गया काम से
चाय के स्वाद से मोदीजी हूए महान से
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