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*तजुर्बे के मुताबिक़ खुद को ढाल लेता हूं!*
*कोई प्यार जताए तो जेब संभाल लेता हूं!!*
*वक़्त था सांप की परछाई डरा देती थी!*
*अब एक आध मै आस्तीन में पाल लेता हूं!!*
*मुझे फासने की कहीं साजिश तो नहीं!*
*हर मुस्कान ठीक से जांच पड़ताल लेता हूं!!*
*बहुत जला चुका उंगलियां मैं पराई आग में!*
*अब कोई झगड़े में बुलाए तो मै टाल देता हूं!!*
*सहेज के रखा था दिल जब शीशे का था!*
*पत्थर का हो चुका अब मजे से उछाल लेता हूं,,,,!!*
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-Sanjay Singh