My Spiritual Poem...!!!
🌹🌹🌹🌹शाम 🌹🌹🌹🌹
दिल-गिरफ़्तार ही सही
बज़्म सजा ली जाए
याद-ए-जानाँ से ना कोई
शाम ख़ाली जाए
दर-औ-दिवार दिल के उनकी
आमद के मुन्तज़िर
आऔ दिल की बसन्दगी से
शाम सज़ा ली जाए
साँस-साँस धड़कन-धड़कन
ज़िक्र-ए-ख़ालिक़ से
लबरेज़ हर साँस शाम-ए-ख़याली
बना ली जाए
अँदरुनी जलवागर प्रभु से
राफ़ता क़ायम कर
बाहरी-अँदरुनी हस्ती अपनी
एक-सुँ कर ली जाए
“रुँह”से दिलकी दूरी तो है
माना हमने मगर
बज़म-ए-रुँहानियत से हर
दूरी मीटा ली जाए
दिल-गिरफ़्तार=दुनयवी ख़यालोंकी पकड़में जकड़ा दिल, बज़म=महफ़िल,
याद-ए-जानाँ=प्रभु की याद, आमद=आगमन, मुन्तज़िर=राह देखनेवाला, जलवागर=बिराजमान
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