" मिलने की बेकरारी "
तुमसे मिलने की बेकरारी
ऊपर से मौसम की रात सुहानी,
खिलते हैं बागों में फूल इस कदर,
गुनगुना रहे हैं भंवरे फूलों पे इस तरह,
यह देख मचलता है दिल मेरा ,
मिलने आऊं मैं तुमसे भंवरे की तरह।
यह रंगीन तितलियां आती है
फूलों के पास इस कदर ,
इन तितलियों को देख मचलता है दिल मेरा,
चूम लूं तेरे लबों को खूबसूरत फूलों की तरह।
ये रुत सावन की मिलने आई
बरखा धरती से इस तरह,
चाहत है "मित्र" की मिलने
तु आए मुझ से बरखा की तरह,
{🙏मनिष कुमार "मित्र" 🙏}