अच्छी माँएँ
बच्चों की नाराजगी की
चिंता नहीं करतीं
वे उनके भविष्य की उधेड़-बुन में
उधेड़ती रहती है
जीभर-भरकर अपने आपको
अच्छी माँएं ऊपर-ऊपर से लीपकर
चिकना नहीं बनातीं
वे बेटियों को पाथती रहती हैं
कण्डों की तरह
वे नहीं छोड़तीं हैं उनका
एक भी कोना
बिना थपका
इसके बदले में माँओ को
प्यार नहीं मिलता है
बेटियों की तरफ से मिलती है
नासमझ बेरुख़ी
लेकिन वे फिर भी
मढ़ती रहतीं है अपनी ढोलक
अंधरे खटीक की तरह
लगन और मेहनत से
वे सोचती हैं
देखती हैं
बहुत दूर तक
अच्छी माँएँ चाहती हैं
कि जब बेटियाँ करें आरम्भ पाथना
अपनी जिन्दगी को
तो बना सकें अद्भुत आकार
गृहस्थी का
अच्छी माएँ डाँटने से नहीं
ज्यादा दुलराने से
डरती हैं
अच्छी माँएँ
कोयल नहीं, बया होती हैं |
-कल्पना मनोरमा