कितना अजीब है ना यह मान लेना कि
संसार में प्रेम ही सर्वस्व है
काफी खुशनसीब मानते बैठे हैं खुद को
निर्णय जब दिल से लेते हैं
क्यों उस वक्त सारी बुद्धि वादी विचारधारा बंद पड़ जाती है
सही गलत नजर अंदाज कर दृष्टि तो केवल चाहत पर !
कई बार जल्दबाजी के फैसले अनुचित साबित होते हैं
लेकिन यह तो काफी जांच पाच कर कदम उठाया था !
कुछ लोगों के सफल जीवन से प्रेरणा मिली थी,
फिर न जाने मेरा निर्णय गलत या अनुचित परिस्थिति
बेशक उस व्यक्ति को कभी मैं कोसना नहीं चाहूंगी ,
आखिर एक वक्त मेरा संसार और सर्वस्व वही था !!
Urmi