सन्तोष
सन्तोष तो है धीरज की बात,
सुकून का रिश्ता तो है मन के साथ।
किसी को एक में सारे जहां का सुख नज़र आए,
और कोई लाखोँ में भी चैन न पाए।
लालच का पीछा क्या करना?
सब कुछ तो यहीं छोड़ कर है जाना।
सन्तोष ढूंढो अपने काम में, अपने रिश्तों में,
बाकी सब तो मिलता रहेगा किश्तों में।
शमीम मर्चन्ट