रास्ता हमारा नया है,
मगर मंज़िल वहीं पुरानी है...
इट का टुकड़ा नया है,
मगर मकान वहीं पुराना है...
हर मुसीबतें नई है,
मगर ठोकरें वहीं पुरानी है...
वजह कोई नई है,
मगर "ख़ुशी" वहीं पुरानी है...
दिया कोई नया सा है,
मगर रोशनी वहीं पुरानी है...
अल्फ़ाज़ मेरे नए है,
मगर सोच वहीं पुरानी है...
रद्दी का टुकड़ा नया है,
मगर लिखावट वही पुरानी है...
रिश्ते शायद नए है,
मगर निभाने का अंदाज़ वही पुराना है...
बदलता हर मुखौटा नया है,
मगर इन्सान वहीं पुराना है...
आंख से निकले आंसु नए है,
मगर यादे वहीं पुरानी है...
-Parmar Jagruti