डर लगता है कहीं टूट न जाए,
उस ख्वाब को हमें छुना नही है।
रहेगा मुकम्मल वो आंखों मे मेरी
पा लिया उसे तो फिर खोना नहीं है।
सनम अभी रुठा है,दूर है वो हमसे
आग है वो ठहेरो,अभी छुना नही है।
याद आयेंगे हम भी, लिख लो जाना
बारी अबके तेरी है हमे तो आना नही है।
-Chãndñi ikhwabeeda