कोई नही है यहा किसीका, कोई राह मे साथ नही चलता, जब तक सफर लिखा है तब तक का साथ है, सफर खत्म सब छुट जाता है, अपना कहनेवाला मरते वक्त कहा याद आता है?
जिंदगी बहुत लेकरं आते है हम, कहा जी पाते है? हर वक्त अफसोस कैसे खा जाता है हमे??
दिल की सूनते नही, दिमाग की सुनना किसे है? चक्रव्युह बनाकर खुद फस जाते है और कहते है "मैने अपनी जिंदगी जिली।"
-R.J. Artan