कुछ रिश्ते काच के बरतन के जैसे होते है। उन्हें आपको बहुत ही संभालना पड़ता है। यदि वह तूटते है, तो ना हम उन्हें बिखरा हुआ छोड़ सकते है। ना ही समेट सकते है। काच को बिखरा हुआ छोड़ देंगे तो वह आपको चुभ सकता है। और उन्हें वहाँ से दूर करने की कोशिश करेंगे तब भी वह आपको लग सकता है। यह वह रिश्ते है जिनमे सतर्कता सिर्फ आपको बनाये रखनी है। सामने से कोई उम्मीद नही होती है।
-Viraj Pandya