लाख कोशिशें,
खुश रखूं सभी को।
मगर अफ़सोस,
खुद का हक मारकर भी,
मैं ये कर ना सका,
बड़ी शिकायत है साहब,
रिश्तों में भी आजकल।
लोग रिश्तों को कम,
फ़ायदे को तवज्जो देते हैं।
फिर भी कोशिश मेरी,
कोई खफ़ा न हो,
जिंदगी के सफ़र से,
बेवज़ह कोई जुदा न हो।
इस लिए जुस्तजू मुस्कुराने की,
हर रिश्ते में गुल खिलाने की।
हाँ आख़िरी पड़ाव पर,
मुझे मुझसे कोई शिकायत न हो।।
©️राजेश कुमार