नौ दिन नौ-रात्र में,
हर ख़्याल हर बात में,
ज़िन्दगी के हर साथ में,
बस तुम ही तुम हो..
इस ज्योत के प्रकाश में,
इस अटूट विस्वास में,
बनती बिगड़ती हर आस में,
बस तुम ही तुम हो माँ..
हां माँ कह सकती हूं ना तुमको,
जगत जननी कहते हैं सब तुमको,
तुम सबकी मुरादें पूरी करती हो,
फिर आना ना किसी रोज़ मेरे भी घर में..
हां हरियाली भी लगाई है,
तेरी चौकी भी सजाई है,
तेरी पसन्द हर चीज मैं घर ले आयी हूं,
पर जला सकी ना वो ज्योत,
जो रौशनी करे ह्रदय को..
जो सुकून दे जाए मेरे विचलित मन को..
किसी रोज़ आना ना मेरे भी घर में,
और जला देना एक ज्योत,
जो प्रकाशित करे मेरे उर को...
ना तुमसे कोई दौलत चाहिए,
ना मुझे कोई खुशहाली चाहिए,
अपनी गोद मे सर रख देना,
बस एक सुकूँ की नींद चाहिए..
बाकी ना रहे चाहत ज़िन्दगी की,
फेर देना हाथ सर पर मेरे,
इस ज़िन्दगी से मोह-माया मिट जानी चाहिए..
माँ बस तू ही तू मुझमें रह जानी चाहिए..
नवरात्र की हार्दिक शुभकामनाएं..🙏
#Navratri