" सोच समझकर बुनना"
कोई कमल खिलाता हेै,कोई हाथ दिखाता है
यारो यह मत देखो तुम,कोई सहद खिलाता है
मत चूनो निशाना तुम,कोई जहर खिलाता है
कोई झाड़ू दिखाता है,कोई हाथी दौडाता है
यारो पठे लिखे हो तुम,अपनठ ठेंगा दिखाता है
बिना सोचे बिना परखे,क्युं नेता चुनते हो तुम!
यारो छोडो पक्षपात तुम,अच्छा नेतृत्व चुनना है
कोई वादा निभाता है,कोई हवा उडाता है
कोई घर घर लडवाता है,कोई बेघर हो जाता है
नेता महल बनाता है,दाता चुनौती लडता है
यारो पठे लिखे हो तुम,अपना भविष्य चुनना है
जरा सोच समझकर तुम,अपनां वोट डालना तुम
यारो यहीं गिरगिट रहता है,पलभर में रंग बदलता है
तुम बिको मत कौडी में,वह यहीं से वसूल करता है
बिना बिके बिना बके,तुम्हें किंमती वोट डालना है
'माहि'यह राजनीति है,गंदी है पर तुम्हीं से बंधी है
-पवार महेन्द्र
-Pawar Mahendra