आखरी होगी
अंधेरी रातों में वो डर डर कर चलती रही,
ना वो घबराहट पहेली थी ना वो बेचैनी आखरी होगी
उन दरिंदो के बीच वो सिसकती रही,
ना वो आंसु पहेले थे ना वो चीखे आखरी होगी
आज फिर से ये कायनात सोच रही,
ना वो बुरखा पहेला था ना वो चुनर आखरी होगी
आज फिर वो एक एक कर बिखरती रही,
ना वो हवश पहेली थी ना वो हैवानियत आखरी होगी
हर बार वो मदद की राह में देखती रही,
ना वो आश पहेली थी ना वो पुकार आखरी होगी
पता नहीं और कितनी जाने जाएगी,
ना निर्भया पहेली थी ना प्रियंका आखरी होगी
- किंजल पटेल (किरा)