हमने मुस्काने बांटी हें वो नफरत बांटा करते हे।
हम सत्य की राह पे चलते हे वो जुठ फेलाया करते हे।।
इन्सानों कि ये बस्ती मे ईन्सान कही पे देखा हे ?
अपनी मनशा को पाले हे यहां मानवता को फेंका हे।।
हम दिपक लेकर चलते हे हम उजीयालो के सारस हे।
वो अंधियारा ले चलते हे वो कौरव किलविश वारस हे।।
हम समता,ममता लाते हे वो गीत स्वार्थ के गाते हे।
हम हमराही बन जाते हे वो शत्रृता फेलाते है।।
हम न्याय नीति को पाले हे वो नीज खुशी के नाले हे ।
हम सबको साथ ले चलते हे वो सीमीत बन रह जाते हे।।
हम एक बने,हम नेक बने हमने यह नारा बोला हे।
हो धर्म सत्यकी जीत उसी राहो पे पथको खोला हे।।
हम दर-दर देवको ढुंढ रहे तुम शैतानो को पाल रहे।
हम राम कृष्ण के बच्चे हे वो ही ईश्वर वो मौला हे।।
ये परिवर्तन की आंधी हे तुम पलभर टीक ना पावोंगे।
जो समजे नही इस करवट को मीटृटी बन रह जाओगें
खोलो ये आंखें आसुरी तब सत्य तुमे दिख जायेंगा
कर सको जो अच्छा काम तभी तुम मानव ही कहलाओगें
"पार्थ खाचर"