🎼प्यार का इज़हार 🎼🎼
ख्वाहिश थी मेरी ,खुद को पाने की
हवा के साथ लहराने की ,
ख्वाहिश थी मेरी,
परिंदो जैसे खुले आसमान मे घूम पाने की ,
सपनो को पंख लगाने की l
ख्वाहिश थी मेरी , किसी को अपना बनाने की
पर किस्मत का था, अलग ही विचार
कर ना पाये , हम अपने प्यार का इज़हार
फिर भी दिखता था हमे एक दूसरे के लिए प्यार
ख्वाहिश थी मेरी, करे हम अपने प्यार का इजहार
करते थे जो हम एक दूसरे को प्यार
पर करना पाये फिर भी ,
एक दूसरे को अपने प्यार का इजहार
एक दिन था ऐसा आया ,
उसने ख़त था मुझे पकड़ाया ,
मन मे ख़ुशी का खुमार था छाया,
सोचा अब होगा, हमारे प्यार का इज़हार
जब ख़त था मैने पाया
तभी माँ बाप की इज़्ज़त का ध्यान था आया
खत को था मैंने फाड़ गिराया
अपने प्यार का इजहार कर ना था पाया
रंग रूप का था सब रोल
खूबसूरती का था सब मुल
काले का था ना कोई हाल
इसलिए करना पाये, हम अपने प्यार का इज़हार
प्यार का था अलग सा एहसास ,
दूर हो कर भी रहते थे हम पास पास ,
उसकी आदतों को था मैंने अपना बनाया ,
उसको मैंने खुद मे ही था पाया l
ख्वाहिश थी जो मेरी , करे प्यार का इजहार
लगे उसे दस साल ,
दस साल बाद था एक फ़ोन था आया ,
जिसने मेरी सांसों को था धड़काया l
करा जब उसने प्यार का इजहार ,
हम रोये बार बार,
आँख से ख़्वाहिश के आँसू थे झलकें ,
चलना था हमे अब साथ मिलके l
अनकही ख्वाहिश थी जो हमने पायी ,
ज़िन्दगी में एक नई पहचान थी हमने बनायी l
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Navita 🎼