सीने में हजारों रंज भरे हम फिर भी दबाये रखे है।
पल्कों पे तेरे ही ख़्वाबों के हम महल बनाये रखे हैं।।
हमदर्दी का दावा करके क्यों हाल नही पूंछा मेरा।
हाथों से लिख्खे पुराने ख़त सीने से लगाए रखे हैं।
तुम हुश्न के सौदागर ठहरे हम तो तेरे दीवाने ठहरे।
उसदर्द की कीमत पहचानो जो जान गवाये रखे हैं।।
हर बक़्त उदासी का आलम रहता है मेरे सीने में।
यादों की नागिन के डर से हम जान बचाये रखे है।।
आना है आकर चले जाना इसमें तो कोई बात नही।
हम भी तो कफ़न की चादर में हर दर्द छुपाये रखे है।।