My Spiritual Poem...!!!
मोरी जीवन-नैया तोहरा अर्पण
मुज़ दासी नुं रखियों तौहरे चरण
जीवन हो मोहरा जैसे कि दर्पण
हर दु:ख-दर्द-ख़ुशी तौहे समर्पण
बिनंती मुज़ निम्न-ओ-तुच्छ कि
किजो क़बूल मोहरे प्रिये-प्राण
में तो दुखियारी हूँ प्रीत की दुलारी
तुम्हरी दासी हदकी बातें न जाणु
बे-हद मुज़ पगली-नुं दिजों प्रेम
अपरम्पार,रखियों सदा ही चरण
कान्हा जी रंग में अपने ही रंगियो
बदरिया रंगों की पाने को तड़पत
दासी यह प्रीत-दिवानी ज़ानत नही
रीत जग की,रखियों सदा ही चरण
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