My Meaningful Poem...!!!
यारों हमारी कल्पना
के साथ साथ हमारे
प्रयास का भी होना
अति अवश्य होता हैं।
सीढ़ियों को मात्र देखते
रहना ही पर्याप्त नहीं हैं
सीढ़ियों पर चढ़ना भी
उतना ही आवश्यक हैं।
फ़ल कर्म का मोहताज
ओर कल्पना भी अमल
की ही मोहताज होतीं हैं
करनीं फ़ल की जनेता हैं।
हर रचनात्मक ख़्याल भी
कार्यों की सीढ़ी चढ़ कर
ही हक़ीक़त की बुनियाद व
शक्ल अख़्तियार करता हैं।
अंत: हर बंदे को चाहिए कि
करनीं की पूँजी लगा कर ही
क़िस्मत की बेड़ियों को तोड़
मरोड़ प्रभु-शरण से फ़ल पाएँ।
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