My Wonderful Poem...!!!
अगर अपनों के अल्फ़ाज़ो से
दिए ज़ख़्म नासूर भी बन जाएँ
तो भी दिलोंको खुरेदा नही करते
आग सीने में कैसी भी सूराख
सी भी हो पर उस आग🔥को
💨हवा कभी नहीं दिया करते
रिश्तों की दौर कच्चे धागे-सी
होतीं ग़र यह कच्ची भी हो जाएँ
तो खींच के इसे तोड़ा नहीं करते
मजबूरी मेहनतसे बने रिश्तों को
नागवार मोड़ पर जरुर लाती पर
हल को भी नज़रअंदाज़ नहीं करते
तूटते नातों को तोड़ना दस्तूर तो है
दुनियावी लोगों को पर कान के जो
पक्के होते बातें एसी सुना नहीं करते
महज़ चार दीन की ज़िंदगी में मसले
ओर मरहलें तो अनगिनत होते हैं पर
जवाँ-मर्द कभी मुँह मोड़ा नहीं करते
प्रभुजी भी ये देखत-सुनत-जानत है
इम्तिहान भी हर एक पल वह लेवत है
पर कामयाब मर्दों को मुक्ति भी देवत है
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