शरीर ही तो झुलसा है, रूह में जान अब भी बाकी है, हिम्मत से लड़ेंगे ज़िन्दगी की लड़ाई, आत्मसम्मान मेरा अब भी
बाकी है... मिटाई है लाली होठों की मेरी, पर होठों की मुस्कान अब भी बाकी
है... काली हूं मैं, मैं दुर्गा भी हूं, हौसलों में उड़ान अब भी बाकी है...