गुलमोहर भी अक्सर होता हमारे साथ..
बस्तों में किताब कॉपियों से ज्यादा
सजता हर बार
गुलदस्ता बनाकर रख आया करते
प्रधानाचार्य के टेबल पर
हम बार बार
ढूंढे जाने पर हमसबको
मिलती जबरदस्त फटकार
कितने अच्छे दिन थे हुआ
करते थे यार..
इस भीड़ में हम कहाँ खो गए?
#अनामिका

-डॉ अनामिकासिन्हा

Hindi Shayri by डॉ अनामिका : 111577037

The best sellers write on Matrubharti, do you?

Start Writing Now