* कविता *
प्रेम की खिड़की ,जरुर खुली रखना ।
स्नेह की हवा आए ,ऐसी जगह रखना ।।
आँखों की प्यास ,जरुर बुझाते रहना ।
चाँद सा मुखड़ा ,जरुर बताये रखना ।।
अपने दिल में ,मुझें जरा जगह देना ।
अपने प्रीत की बारिश ,में हमें भीगेये रखना ।।
प्रेम का दामन ,निभाये रखना ।
अपने जवानी के ,जलवे सजाये रखना ।।
दोस्ती का हाथ ,बढाये रखना ।
हमदर्द सदा ,दिल से बने रहना ।।
एक पल भी ,हमसे ओजल मत होना ।
जीते जी तुम्हारे ,प्यार को निभाये रखना ।।
-Brijmohan Rana