Hindi Quote in Story by Kalpana Sharma

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गड्ढे में पड़ी वो नन्ही जान खून से लथपथ जोर जोर से रो रही थी, किसी ने पैदा होते ही उसे यहाँ फेंक दिया था। भीड़ बहुत थी लेकिन सभी दूर खड़े तमाशा देख रहे थे। तभी अचानक कहीं से कलुआ आया, गड्ढे में उतरा, बच्ची को निकाला और कुएं के पास ले जाकर बच्चे को नहला कर साफ कपड़े में लपेट लिया।

सब हतप्रभ से देख रहे थे। अपनी टूटी झोपड़ी के बाहर बैठकर कलुआ बच्ची को कटोरी चम्मच से पानी पिलाने लगा। पहली बार प्यार भरा स्पर्श पाकर लम्बी-लम्बी साँसें लेती हुई बच्ची अब शांत थी। अचानक अपनी नन्हीं नन्हीं आंखें खोलकर बच्ची ने कलवा की ओर देखा। कलुआ का दिल धक से हो गया कहीं यह भी उसे बाकी लोगों की तरह भद्दा तो नहीं समझेगी?

बच्ची के होठों पर प्यारी सी मुस्कान खिल गई। कलुआ उस मुस्कान में खो गया मानो वह मुस्कान उससे कह रही हो, "कलुआ! भद्दे तुम नहीं भद्दा ये समाज है जिसने लड़की होने के कारण मुझे गड्ढे में ला पटका और तुम्हारे जैसे मानवता की पुजारी को भला-बुरा कहता है"

कलवा ने भी प्यारी सी मुस्कान बच्ची को दी और उसे अपने सीने से लगा लिया। लोग बातें बनाते इधर-उधर हो गए।

#भद्दा

Hindi Story by Kalpana Sharma : 111570499
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