# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .अनिर्धारित "
# कविता **
प्यार परख कर ,नहीं किया जाता ।
प्यार तो अपने ,आप ही हो जाता ।।
प्यार में दिल ,सदा आहें भरता ।
प्यार में आँखें ,सदा इतंजार में बरसती ।।
प्यार अपना पराया ,नहीं देखता ।
प्यार तो हुस्न ,पर फिंदा होता ।।
प्यार केवल ,दिल ही देखता ।
चाँद के दीदार करने ,व्याकुल रहता ।।
प्यार अनिर्धारित ,ही होता ।
कब किस पर दिल आ जाये ,पता नहीं चलता ।।
निगाहों निगाहों में ,प्यार होता ।
प्यार सब कुछ ,कुर्बान करता ।।
सच्चा प्यार ,कुछ नहीं मांगता ।
केवल अपना सर्वस्व ,दे देता ।।
-Brijmohan Rana