उनका कुछ बातों पर रुकना ओर फिर, धीरे से सारी बातें केहना, या फिर, उनके कंधे पर हाथ रखते ही, उनको ये एहसास होना, की "हाँ, मे आप के साथ हूँ," इस से ज्यादा अब विश्वास को ओर समजाना क्या, ये तो सारी समज ने की बाते हे, अपनी चाहत को सिरहाने रखा करो, क्यूँ की ये तो एहसास की बातें हे।
#विश्वास