Hindi Quote in Poem by Medha Jha

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# उसका परिचय

ऑफिस में
डरा डरा सा कृष्णन,
डांट खाता कृष्णन,
स्थाई भाव है
चेहरे का उड़ा रंग उसका,
निरीहता और दब्बूपना
है पर्याय उसका;

आज निमंत्रण है
कृष्णन के घर,
छोटे से सजे घर में
दिख रही
उसकी पत्नी की दक्षता,
दीवाल का पेंटिंग भी
पत्नी ने बनाया है,
और अपने विषय में भी
अच्छे अंक लाई है।

दंग है वो,
ऐसे मूढ़ को भी
ऐसी सुगृहिणी मिली है;
कितना भाग्यशाली है वो,
और ये बेचारी क्या पाई है?

भोजन कर तृप्त होकर
वह बैठी पत्नी के साथ,
बहनापा सा बन रहा था,
और तेजी से बदल रहा था दृश्य
उसके मस्तिष्क पटल से;

मेरे ये बहुत गुस्सैल हैं,
खाना तो छूते ही नहीं
अगर ये ना बने,
इनको साड़ी ही पसंद है,
मेरा बाहर अकेले जाना पसंद नहीं,
कितने सुंदर हैं ये,
और ऐसी साधारण मैं;
चाहिए इनके जैसा ही
सुदर्शन संतान हमें;

जानकारियां देती जा रही थी
वो सुगृहिणी,
और मैं पा रही थी
एक नितांत नया परिचय,
उस डरे से कमजोर व्यक्ति का,
जोकि इसका पति परमेश्वर था
और इस घर का स्वामी था।

Hindi Poem by Medha Jha : 111556283
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