# विषय .प्रेम "
# विधा .कविता ***
प्रेम दो दिलों ,का मिलन है ।
जिसके बिना ,वो तड़प जाते है ।।
प्रेम बचपन ,का मिलन है ।
जिसमें बंध कर ,भाई बहीन खीचे चले आते है ।।
प्रेम माँ की ,ममता है ।
जिसको हर कोई ,पाना चाहता है ।।
प्रेम पिता का ,आशिर्वाद है ।
जिसको पाने हर कोई ,उतावला होता है ।।
प्रेम दोस्ती ,की मिशाल है ।
जिसके बिछड़ने पर, दिल रोता है ।।
प्रेम दो प्रेमी ,का मिलन है ।
जिसके बिना ,जीना दुश्वार होता है ।।
प्रेम ईश्वर की ,अनमोल भक्ति है ।
जिसे पाकर , भवसागर तर जाता है ।।
प्रेम के कयी ,रुप है ।
जिसके बिना ,मानव अधूरा है ।।
प्रेम विना जीवन ,सूना है ।
जिसके लिए ,मानव जीता है ।।
प्रेम से ही ,मिलन होता है ।
जिसे पाकर ,जीवन खुशहाल हो जाता है ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,हाल अमदाबाद ,गुजरात ।