# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .चालाकी "
# छंदमुक्त कविता ***
तेरी चालकी ,समझ गये ।
तू तो आस्तीन का ,सांप निकला ।।
तू मित्र बनाने ,काबिल नहीं था ।
तुझ पर भरोसा कर ,हम निराश हुए ।।
मित्रता की आड में ,सैनिकों को मारा ।
तेरी सादगी में ,चालाकी छिपी है ।।
तेरी चालाकी हम ,समझ नहीं पाये ।
हिमंत है तो ,सामने से वार करता ।।
तुझे पल में ,नानी याद दिला देते ।
तू मित्रता के नाम ,पर कलंक निकला ।।