पहली बारिश होते ही जैसे चारो ओर हरियाली छा गई।
तेरे आने से मेरे सूखे, तप्त, जीवन में खुशियाली छा गई।
तुम जिस दिन मेरे घर आये लगा मानो दिवाली आ गई।
तेरे आने से मन मधुबन सा झूम उठा मानो पुरवाई आ गई।
तेरा आना मेरे जीवन में जैसे स्वर्ग से गंगा स्वयं उतर आई।
तेरी तलब थी पाने की, सामने से तू ही मेरे पास चली आई।
एक बार देखा हँसकर मुझे, तेरी तस्वीर मेरे दिल में बस गई।
गली गली तेरे दीदार में मारा मारा फिरा आँख लगी ख्वाब में तूँ आई।
रात भर सपने में थी, सुबह उठकर खोली आँख नजर तूँ आई।
मन मचल रहा था मिलने, रटने लगा तेरा नाम तो कविता बन गई।
-दीपेश कामडी 'अनीस'