# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .प्रचंड "
# कविता ***
कोरोना का प्रंचड ,रुप देख ,
सबका दिल ,भयभीत हो गया ।
अब तो सबका ,धर से निकलना ,
दुस्वार सा ही ,हो गया ।।
मौज शौक सब ,जीवन के ,
अब हवा में ,ही उड़ गये ।
एक प्रंचड़ बिमारी ,के भय ने ,
सबके अरमान ,बिखेर दिए ।।
अब तो बाहर ,जाने से भी ,
लोग डर से ,भयभीत हो गये ।
खिड़की और दरवाजे ,से ही ,
झाँकते सब ,हो गये ।।
भगवान अब ,इससे छुडाये ,
सब धर में ,तंगदिल से हो गये ।
प्रकृति की वादियों ,में धुमने ,
अब उतावले ,से सभी हो गये ।।