# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .चुबंक "
# विधा .कविता "
तुम्हारे रुप का चुबंक ,मुझे दीवाना बनाता ।
तुम्हारे प्रेम का चुबंक ,मुझे प्यार सीखाता ।।
तुम्हारे मधुर गीत का चुबंक ,दिल मोह लेता ।
तुम्हारी सादगी का चुबंक ,अपना बना लेता ।।
तुम्हारी भक्ति का चुबंक ,ईश्वर को बुलाता ।
तुम्हारी वीरता का चुबंक ,शत्रु को हराता ।।
तुम्हारी मानवता का चुबंक ,मानवता सीखाता ।
तुम्हारी भाईचारे का चुबंक ,दिलों की नफरतें मिटाता ।।
तुम्हारे देश प्रेम का चुबंक ,देश पर कुर्बानी सीखाता ।
तुम्हारे स्नेह का चुबंक ,मुझें मित्रता देता ।।
मानव मानव का अपनापन ,चुबंक की तरह मिला देता ।
दिल में करुणा का चुबंक ,दुःखदर्द पल में हर लेता ।।
जीवन चुबंक की तरह ,बनाना हर किसी को भाता ।
जैसे सुगंध का चुबंक ,भंवरे को फूल के पास बुलाता ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।