# आज की प्रतियोगिता "
# विषय .फुर्सत "
# विधा .कविता ***
काम की उलझन इतनी ,
हंसी की फुर्सत नहीं ।
जिन माँ बाप ने जन्म दिया ,
उन्हें पालने की फुर्सत नहीं ।।
अपने तो बहुत है पर ,अपनों से मिलने की फुर्सत नहीं ।
दोस्ती तो करली ,
पर उसे निभाने की फुर्सत नहीं ।।
दिल में अरमान बहुत ,
पर उन्हें सजाने की फुर्सत नहीं ।
आँखों में है निंद भारी ,
पर सोने की फुर्सत नहीं ।।
धन तो बहुत कमाया ,
पर परोपकार में लगाने की फुर्सत नहीं ।
दिन रात की दौड भाग में ,
एक पल ईश्वर को याद करने की फुर्सत नहीं ।।
मानव जन्म लिया पर ,
मानवता निभाने की फुर्सत नहीं ।
पडौसी बन गये किस्मत से ,
पर पडौसी धर्म निभाने की फुर्सत नहीं ।
जिव्हा बहुत प्यारी दी ,
पर मीठे वचन बोलने की फुर्सत नहीं ।।
बृजमोहन रणा ,कश्यप ,कवि ,अमदाबाद ,गुजरात ।